Monday 29 December 2014

संस्कृत सीखने के लाभ

संस्कृत सीखने के लाभ :-
(१) बुद्धि तीव्र होती है ।
(२) सूत्र रूप में कम शब्दों में पूरी बात व्यक्त करने की क्षमता होती है ।
(३) धर्म ग्रन्थों को बिना किसी पर निर्भर हुए पढ़ा जा सकता है।
(४) उच्चारण स्पष्ट होने के कारण लोगों का आकर्षण होता है। मधुरता को सभी पसंद करते हैं।
(५) मानव प्रचीन ऋषि परम्परा से जुड़ जाता है ।
(६) स्वदेशी भाषा के प्रती मानव का गौरव बढ़ जाता है ।
(७) प्रकृत्ति के संकेतों को समझ सकता है ।

यहि कारन है कि मै आप से संस्कृत सीखने के लीए अनूरोध करता हूँ।

वंदे मातरम वंदे संस्कृतम।

 संस्कृत से जुड़े रहस्ये 

०१) संस्कृत, विश्व की सबसे पुरानी पुस्तक (वेद) की भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।

०२) इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयंसिद्ध है।

०३) सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता भी निर्विवाद है।

०४) इसे देवभाषा माना जाता है किंति 1832 मे मैकाले का इंडियन एज्यूकेशन लागू होने से पहले गूरूकूल शीछा पद्धती मे संस्कृत भाषा ही माध्यम था और भारत मे 97% लोग शीछीत और जीवन के आदर्श विचारो से ओतप्रोत थे और उनका जीवन जीने का तरीका इतना संस्कारीत था कि वो पराइ नारी को अपनी माँ बहन या बेटी का दर्जा देते थे और पराया सोना भी मीट्टी समान मानते थे और ये केवल सूनी सूनाइ बात नही है बल्की स्वय इंडीयन एज्यूकेशन एक्ट नीर्माता मैकाले इंग्लैंड कि महारानी को 1832 से पहले लीखे पत्र मे स्वीकार करता है और आप YOU TUBE मे वो पत्र राजीव दिछीत जी के व्याख्यान मे देख सकते हो।

०५) संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि संस्कारित भाषा भी है अतः इसका नाम संस्कृतहै। केवल संस्कृत ही एकमात्र भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है। संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि पाणिनि, महर्षि कात्यायन और योग शास्त्र के प्रणेता महर्षि पतंजलि हैं। इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है।

०६) शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के २५ रूप होते हैं।

०७) द्विवचन - सभी भाषाओं में एक वचन और बहु वचन होते हैं जबकि संस्कृत में द्विवचन अतिरिक्त होता है।

०८) सन्धि - संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है सन्धि। संस्कृत में जब दो शब्द निकट आते हैं तो वहाँ सन्धि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जाता है।

०९) इसे कम्प्यूटर और कृत्रिम बुद्धि के लिये सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है।

१०) शोध से ऐसा पाया गया है कि संस्कृत पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

११) संस्कृत वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी सम्भावना नहीं होती। ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं और क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है। जैसे -अहं गृहं गच्छामि या गच्छामिगृहं अहम् दोनो ही ठीक हैं।

१२) संस्कृत विश्व की सर्वाधिकपूर्ण एवं तर्कसम्मत भाषा है।

१३) देवनागरी एवं संस्कृत ही दो मात्र साधन हैं जो क्रमश:अंगुलियों एवं जीभ को लचीला बनाते हैं। इसके अध्ययन करनेवाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है।

१४) संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरन्तर होती आ रहीहै। इसके कई लाख ग्रन्थों के पठन-पाठन और चिन्तन में भारतवर्ष के हजारों पुश्त तक के करोड़ों सर्वोत्तम मस्तिष्क दिन-रात लगे रहे हैं और आज भी लगे हुए हैं। पता नहीं कि संसार के किसी देश में इतने काल तक,इतनी दूरी तक व्याप्त, इतने उत्तम मस्तिष्क में विचरण करनेवाली कोई भाषा है या नहीं। शायद नहीं है।

वंदे मातरम वंदे संस्कृतम।

 

आओ संस्कृत अपनाए 

(1) संस्कृत देव भाषा है ऐसे भ्रम से हम बाहर मिकले , यह लोकभाषा भी है । भारतीय प्रजा आज से 200वर्ष पूर्व तक 1932 मे मैकाले इंडीयन एजूकेशन ऐक्ट लागू होने से पहले तक संस्कृत मे ही व्यवहार करती थी । संस्कृत मे माधुर्य है , विवेक है , संस्कार है , बालक सुसंस्कृत बंता है , विकृत बनने से बच जाएगा , बालक भद्र बनेगा।
(2) अपने वेदो, पुरान, उपनिषद, का ज्ञान संस्कृत भाषा मे है , संस्कृत के ज्ञान बढ़ाने से अपने ज्ञान की परंपरा का परिचय हो । आज के समय मे हम जो नहीं कर रहे है वह जर्मन करता है , जर्मन देश संस्कृत को अधिक महत्व दे रहे है , वे लोग अपने ज्ञान के भंडार को आत्मसात करने का प्रयास कर रहे है ।
(3) संस्कृत बाल्यावस्था मे पढ़ने से बालक मे नीतिमता की कक्षा उच्च होगी अथवा नैतिक शिक्षा एवम मूल्य निष्ठ शिक्षा की कल्पना साकार होती है । संस्कृत को प्राधान्य देना ही होगा
(4) वर्तमान संगणक (कम्प्यूटर ) युग मे संस्कृत अति उपयुक्त भाषा सिद्ध हुई है । अनेक संसोधन के पश्चात संस्कृत का परिणाम फलदायी हो रहा है अतः आप सभी मीत्रो से अनूरोध है कि आप सभी मीत्र कमेंट मे Link OPEN करके पेज लाइक करके संस्कृत सीखे और मीत्रो को भी सीखाए।



 

1 comment:

  1. Sanskrit Jivan vigyan sikhane ki sarvottam bhasha hai..

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